शनिवार, 15 अगस्त 2009

आजादी कैसी आजादी


खून सने गलियारे देखे
भूखे लोगो को बहकाते
नेताओ के भाषण देखे
गंदी नजरो से बचने को
अबलाओं के तन मन देखे
धनवानों के गलियारों में
भूखे नंगे बच्चे देखे
ताकतवर है मौज मनाते
ठोकर खाते निर्बल देखे
बदल सके हालात अगर
तब सच्ची आजादी देखे

आप सभी को स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें
नन्दिता

सोमवार, 10 अगस्त 2009

विक्रम जी, की कविता-आज रात......

आज मै विक्रम सिंह जी की लिखी कविता प्रस्तुत कर रही हूं,जो मुझे बेहद पसंद आयी। साथ ही मै बिक्रम जी से माफी भी चाहती हूं, कि बिना उनके इजाजत के मै ऐसा कर रही हूं।
आज रात कुछ थमी-थमी सी
स्वप्न न जानें कैसे भटके
नयनों की कोरो से छलके
दूर स्वान की स्वर भेदी से ,हर आशाये डरी-डरी सी
दर्दो का वह उडनखटोला
ले कर मेरे मन को डोला
स्याह रात की जल-धरा से ,मेरी गागर भरी-भरी सी
शंकाओ का कसता धेरा
कैसा होगा मेरा सवेरा
मंजिल के सिरहाने पर ये ,राहें कैसी बटी-बटी सी
विक्रम[vikram7-vikram7.blogspot.com]

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

आ उस छाँव तले चल ........

आ उस छाँव तले चल बैठै
कुछ बातें ,कर ले हम दोनों
कुछ उस पल की,कुछ इस पल की
यादो की झुरमुट में,छुप कर
गुजरे लम्हों को फिर जी ले
कुछ शिकवे तेरे भी होगे
कुछ शिकवे मेरे भी होगे
आ अब भूल इन्हे हम फिर से
फागुन वाली लय में झुमे
जीवन तो बस जलती बाती
जाने कब बुझ जाए साथी
जो पल आज मिले है हमको
उनको तो जी भर कर जी लें
आ उस छाँव तले चल बैठे
नंदित्ता सिंह

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

मेरी वफा ने........

मेरी वफा ने देखे थे,ख्वाब कैसे कैसे
तेरी वफा में
शायद मुझको यकी बहुत था

कुछ यादो के सहारे

कुछ यादो के सहारे

जीने का प्रयास,करता ये मन

न जाने कहां

ले जायेगा मुझे

कुछ कह नही सकती

बहुत बहरूपिये हॆं,आस पास

काश इनसे बच सकती

नंदिता